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आप सरकारी दफ़्तर में किसी काम से गये है और उसके लिए आपको 2-3 चक्कर लगाने पड़ गये हों ……… तो क्या करोगे?
दोस्तो हमारा गाँव राज्य की राजधानी से लगभग 300 किलोमीटर दूर है| गाँव के एक आदमी को कोई सरकारी काम करवाना था, वो दफ़्तर के चक्कर लगा लगा कर थक गया था तो किसी ने उसे सलाह दी कि गाँव की 10-15 लोगों को लेकर मुखमंत्री से क्यों नही मिलते| उसे बात जच गयी और मुखमंत्री जी से मिलने जाने के लिए प्रबंध किया और गाँव के कुछ लोगों को लेकर रवाना हो गया| साथ गये लोगों में से एक की मुख्यमंत्री के सचिव से अच्छी पहचान थी इस लिए उनकी मुलाकात निश्चिस्त थी लेकिन राजा से एक बारी में मुलाकात हो जाए ये कहाँ संभव था, लेकिन जहाँ चाह वहाँ राह और 5वी या 6ठी कोशिश में मुख्यमंत्री से मुलाकात हो गई| वापिस गाँव में पहुँच कर जो खुलासा उन्होने किया वो चोकाने वाला था, उन्होने बताया की खुद मुख्यमंत्री ने कहा “जिस काम के लिए तुम यहाँ आए हो उसके लिए जितना खर्चा कर दिया, यदि ये ही खर्चा तुम वही पर उस अफ़सर पर खर्च कर देते तो तुम्हारा काम भी जल्दी हो जाता और इतनी परेशानी भी नही होती?” एक मुख्यमंत्री ऐसे बात भी कर सकता है किसी को यकीन नही होगा| ये घटना बहुत पुरानी है ………..
सच रिश्वत तो सुविधा है ………… !
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