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शिक्षा का व्यवसाइकरण

दिल की बात
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आज जो शिक्षा हम अपने बच्चों को दे रहे हैं वो व्यवहारी शिक्षा नही है| आज हमे जो शिक्षा मिल रही है वो हमे नोकर बना रही है, क्योंकि आज जो भी पढ़ाई करता है उसका एक ही सपना होता है की उसको एक अच्छी नोकारी मिलेगी| बच्चे की पाँच साल की उम्र में ही उसको दस किलो का भारी बस्ता उठना पड़ता है, उनको फालतू के बोझ से दबा रही है | उपर से कंप्टिशन का जमाना यदि 95% नंबर भी आए तो भी आप पिछड़ जायगें| माँ बाप तो परेशान है ही बच्चा भी शारीरिक और मानसिक दबाव महसूस करने लगता है, ये हाल तो बच्चों का है| बड़े भी इस बोझ से छूटे नही हैं आज सिर्फ़ डिग्री ही आप की कामयाबी का एक मार्ग है| प्रतियोगिता में यदि एक अनुभवी और एक डिग्री धारक तो प्राथमिकता डिग्री वाला प्राप्त करेगा (कम से कम सरकारी नोकारियाँ तो इसी आधार पर प्राप्त होती हैं) अनुभवी को नम्बर बाद में ही आयगा क्योंकि उसके पास डिग्री नही है| डिग्री का ना होना अनुभवी की तरक्की में रोड़ा बन जाता है, अनुभवी का मान तो सब करते हैं पर तरक्की के नाम पर डिग्री का ना होना उसके लिए शाप बन जाता है| किंतु डिग्री धारक चाहे कम अनुभवी हो फिर भी तरक्की के नाम पर डिग्री उसकी सीढ़ी बन जाती है| आज प्राइवेट डिग्री कॉलेज (M.Ed., B.Ed.) खुले हुए हैं वो नॉन-अटेंडिंग (कक्षा में ना जाना पड़े) के 60-70 हज़ार रुपय अतिरिक्त लेकर उनका काम कर देते हैं| बाद में एग्ज़ॅम में जाम कर नकल भी होती है, ऐसा नही है की सरकार नकल को रोकने का प्रयत्न नही करती वो तो भरपूर कोशिश करती है की नकल ना हो किंतु जो लोग नकल रोधक दस्ते में होते हैं उनके पहुचने की खबर प्रकाश गति से पहले ही पहुँच जाती है| नकल से पास लोगों के कारण वो लोग पिछड़ जाते हैं जो दिन रात पढ़ कर पेपर देते हैं|

जगह जगह खुले हुए स्टडी सेंट्र्स डिग्री कोर्स करने का एक अनोखा बिज्नस खोले हुए है ……… पेपर करवाने के नाम पर कॅंडिडेट को पेपर घर से करके लाने को दे देते है और उनसे मोटी फीस वसूलते हैं| डिग्री बढ़ाने की खातिर कॅंडिडेट ये बोझ सहन करता है क्योंकि उसको उमिद होती है की जितनी ज़्यादा डिग्रियाँ होंगी उसको उतनी ही अच्छी नोकरी मिलेगी ……. और नोकारी मिलेगी तो उसको अच्छी तारिककी मिलेगी|

आप ही सोचो जो शिक्षक बिना पढ़े नकल के सहारे ही डिग्री प्राप्त करेगा तो वो क्या खाक हमारे बच्चों को पढ़ाएगा, क्या उसकी भावना एक शिक्षक की होगी …….?

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