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दलितों के करीब कौन- राहुल या माया?

दिल की बात
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आजकल राहुल जी को दलितों / ग़रीबों की बहुत सुध आ रही है (विशेषकर उत्तर प्रदेश के दलित और ग़रीब) …… उत्तर प्रदेश में चुनाव नज़दीक जो हैं ……… क्या दलित / ग़रीब किसी दूसरे राज्य में नही हैं …….. हरयाणा में तो हर रोज मिर्चपुर, गोहाना कांड हो रहे हैं और ताज़ा ताज़ा कांड तो हाथी पर बारात निकासी का हैं ……… इसका ख़याल राहुल जी को है …. ? (क्यू वहाँ पर कांग्रेस के सरकार है और उत्तर प्रदेश में एक दलित महिला की सरकार है)

राहुल जी … जो बच्चा सोने के पालने में पैदा हुआ …. जिसने भूख क्या होती है ये ही ना जाना हो …. जिसकी छोटी सी आह पर सैकड़ों नोकर आगे पीछे दौड़ पड़े ….. जिसने जेठ की दोपहरी ना देखी हो पोह की सर्दी ना झेली हो … वो क्या जाने ग़रीबी क्या होती है …. ? एक दिन किसी ग़रीब के घर पर जाकर खाना खा लेने से आप ग़रीबी के करीब कैसे हो सकते हैं ……. ? क्या एक दिन में ही ग़रीब का दर्द पता चल जाता है ….. ? और आप सीखा रहे है के ग़रीब का दर्द क्या होता है…. ?

आप जिस ग़रीब के घर जाते हैं उसके घर का बजट बिगड़ देते हो …… बिचारे को हैशियत ना होते हुए भी आपके लिए हलवा पूड़ी बनानी पड़ती है …. और एक समय हलवा पूड़ी बनें तो उसका पूरे दो दिन का बजट गड़बड़ हो जाता है ….. और क्या पता आपको हलवा पूरी खिलाने के लिए उसने किसी से पैसा उधार या कर्ज़ पर लिए हो …. ?

क्या आप जानते हैं आटा खुले बाज़ार में कितने का 1 किलो मिलता है, चने की दाल कितने की किलो मिलती है, रिफाइंड तेल किस भाव आता है ….. आपकी सरकार तो 32 या 25 रूपिया रोज कमाने वाले को ग़रीब मानती ही नही ….

दूसरी तरफ मायावती है जो एक दलित की बेटी होते हुए भी अपने अपने समाज के धुरन्दर पुरुषों को पीछे छोड़ते हुए आज एक सम्मानित पद हैं और वो इस पद को 4 बार शुशोभित कर चुकी हैं …. सर्वविदित हैं कि मायावती के बाप या दादा कोई लीडर भी नही था, फिर भी एक दलित की बेटी अपने संघर्ष और अपनी कूटनीति के कारण आज उस स्थान पर पहुच गयी है|

किंतु मुफ़लिसी और ज़हालत की जिंदगी जीने वाली माया ही सही माने में जानती है कि ग़रीबी क्या होती है और दलित का दर्द क्या होता है ….. उसने देखा है भूख क्या होती है …….. चार कोस पैदल चलना क्या होता है ….. बिना गरम कपड़ो ने सर्दी कैसे गुज़ारी जाती है …. बिना ए.सी. के गर्मी कैसे लगती है ……. जीवन जीने की लिए कैसे पल पल संघर्ष करना पड़ता है ……

भले ही वो उन लोगो का अनुसरण कर रही हैं जिन लोगो ने अपनी सरकार बनते है अपने अपने पिताजी के पुतले शहर शहर खड़े कर दिए हों ………..

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