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मैं नशे में था ….

दिल की बात
दिल की बात
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यादों को संजोना इंसान की फ़ितरत है, किसी भी मजेदार/ यादगार क्षण को वो सहज कर रखना चाहता है …. जैसे जैसे लोगो की पूंजी बढ़ रही है, वैसे सुविधा भी बढ़ रही हैं, यादो को कोई फोटो से रूप में तो कोई वीडियो के रूप में रखता है| और आज तो ये सुविधा बहुत आसानी से उपलब्ध है मोबाइल फ़ोन में ही वीडियो कैमरे जो आ गये हैं ….. ये सुविधा अनेको बार दुविधा भी पैदा करती है …… ऐसे ही एक सच्ची घटना यदि आ गयी उसी को कहानी के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ… उम्मीद है पसंद आएगी|

मालती और समीर की शादी को लगभग 18-20 वर्ष गुजर गये है| दो प्यारे-प्यारे बच्चे भी हैं बेटा टोनी 14 और बेटी मोनी 11 वर्ष है| मालती किसी भी एंगल से लगती ही नही कि वो दो-दो और इतने बड़े बच्चो की माँ होगी …. कोई कुँवारी लड़की भी उसके सामने पानी भरती नज़र आती है …… दोनो एक दूसरे पर मरते हैं| समीर भी उस पर जान छिड़कता है … और मालती का तो संसार ही जैसे समीर से शुरू होता है और अपने बच्चो पर ख़त्म होता|

इस बीच होली का उमँगो भरा खुशियो से सराबोर त्योहार आया …. इस दिन क्या बच्चे तो क्या बूढ़े सभी रंगो में डूबे हुए होते है| मौसम में भी एक अलग सा ही नशा छाया होता है ….| टोनी और मोनी बहुत खुश और मौज मस्ती के प्लान अपने अपने तरीके से बना रहे थे…. बच्चो की खुशी को देख-देख कर मालती और समीर भी खुश थे मालती ज़्यादा खुश थी की इस बार भी वो हँसी-खुशी से समीर के साथ अपनी होली खेलेगी …..|

शुबहा से ही बच्चो के दोस्तो का घर में आना जाना शुरू हो गया ….. 10-15 मिनिट में ही बच्चे बच्चे नही बल्कि भूत नज़र आने लगे …… बीच बीच में समीर इन मौजमस्ती के क्षणो को अपने मोबाइल कैमरे में क़ैद करता रहा …… मालती ने भी जल्दी जल्दी ज़रूरी काम निबटा लिए और वो भी समीर के साथ होली खेलने लगी ….. दोनो ने एक दूसरे को खूब रंगा ….. सही बात तो ये है की दोनो ही एक दूसरे के प्यार के रंग में रंगे हुए है तो इस होली के रंग का तो मतलब कुछ नही रहता फिर भी त्योहार की खुशी तो अलग ही होती है …. एक दूसरे के साथ खलेने के बाद मोहल्ले में यार दोस्तो के साथ खलेने के लिए निकल गये| टोनी ने बीच बीच में होली के खेल को कैमरे में भी क़ैद कर लिया… बाद में देखने के लिए और एक दूसरे का मज़ाक बनाने (खुशिया बाँटने) के लिए| सारा दिन होली खेल कर थकान से चूर पूरा परिवार सो गया|

अगली शाम समीर ने सारा घर सिर पर उठा लिया …. बच्चे एक कोने में दुबके इस महाभारत को सुन रहे थे……. क्यूंकी इससे पहले ये मंज़र उन्होने नही देखा था छोटी मोटी प्यार भरी नोक झोक के झोंके तो कभी कभार आते ही थे जिसके वो आदि थे ….| मालती कुछ बोले तो क्या बोले समीर उसकी बात उसके समझ में ही नही आ रही थी|…. सिर्फ़ एक ही बात की रट लगा रखी थी तुम उसके साथ कहाँ तक बढ़ चुकी हो …. आख़िर मालती का भी गुस्सा फूट ही पड़ा …..समीर तुम क्या कह रहे हो और क्यू कह मेरी समझ में कुछ नही आ रहा ……. समीर ने तपाक से मोबाइल मे से वो क्लिप दिखाई जिसमें एक आदमी मालती को रंग लगा रहा था …. वो क्लिप मुस्किल से 1 मिनिट की होगी, किंतु उससे अगली क्लिप को देखा तो … मालती इस क्लिप को देख कर अंदर तक भून गयी| समीर को दिखाते हुए कहा ये क्या है ?….. उस क्लिप में समीर औरतो को पकड़-पकड़ कर रंग लगा रहा था …… समीर ने कहा तो क्या हुआ मैं उस समय नशे में था …. (तू-तू मैं-मैं के तनाव भरे माहौल में सारी रात बीत गयी)

मालती पढ़ी लिखी आधुनिक महिला थी, उसमे स्वाभिमान कूट कूट कर भरा था ….. अपना अपमान उससे सहन नही हुआ| अपने स्वाभिमान की खातिर उसने अगले दिन वकील से मिल कर तलाक़ के कागज तैयार करवा लिए और समीर के सामने रख दिए…….

आगे क्या होना चाहिए…….?

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