Menu
blogid : 7644 postid : 69

हर शहर में हो लाइसेंस शुदा वेश्याल्य…. ?

दिल की बात
दिल की बात
  • 52 Posts
  • 89 Comments

प्रदीप तमतमाता हुआ आया और धम से कुर्सी पर बैठते हुए बोला – “साला मेरा बस चले तो मैं हर शहर में लाइसेंस शुदा वेश्याल्य खुलवा दूं….. और उससे जो कमाई हो उसमे से पुलिस वालों को तनख़्वाह दूं, उनको भी पता चले कि उनकी तनख़्वाह कहाँ से आ रही है?”

विजय – “अरे सरेआम ये क्या कह रहे हो? तुम्हारी इस बात का किसी महिला संगठन को पता चल गया तो तुम्हारी लेनी कर देंगे और पुलिस तुम्हारी खाल खीच लेगी|”

प्रदीप – “सही कह रहा हूँ ….. अभी अभी एक लड़की को कुछ लड़के वैन में ज़बरदस्ती डाल कर ले गये, कल मिलेगी उसकी बॉडी किसी खेत में पड़ी हुई| हद तो ये हो गयी कि पुलिस पी.सी.आर. पास ही में खड़ी थी, इस मंज़र को देख कर पुलिसवालो ने मूह फेर लिया|”

विजय – “इतना गुस्सा ठीक नही! तुम अहिंसा के पुजारी देश के अच्छे नागरिक हो, जहाँ औरतों की पूजा होती है, इस देश की पुलिस और क़ानून बहुत मजबूत है|”

प्रदीप – “हाँ बहुत ही मुस्तैद और मजबूत पुलिस है तभी तो गुंडातत्व सारेआम लोगो की पिटाई करते हैं, बहू-बेटियों को उनके सामने से उठा ले जाते हैं और ये मौन तमाशा देखते रहते हैं| आज हमारी बहू-बेटी बाज़ार, स्कूल-कालेज, नोकरी आदि कही पर भी सुरक्षित नही हैं| दिन-प्रतिदिन बलात्कार की घटनाए बढ़ती जा रही हैं|”

विजय – “हाँ अपराध तो बढ़ रहे हैं …. किंतु जो समाधान बतला रहे हो वो उचित नही लगता|”

प्रदीप – “यदि हर शहर में लाइसेंस शुदा वेश्याल्य खुल जायगा तो बहुत हद तक ऐसे हादसों पर लगाम लग जाएगी| जिसका दिल करेगा वहाँ पर पैसा देगा और अपना काम निकाल आएगा|”

विजय – “कॉल गर्ल्स का धन्दा तो चल ही रहा हैं| … खबरें नही देखते, पुलिस कितनी मुस्तैद है जगह-जगह छापे मार-मार कर दलाल और कॉल गर्ल्स पकड़ती है|”

प्रदीप – “यदि लाइसेंस शुदा वेश्याल्य खुल जाए तो ऐसी नौबत ही ना आए…. और कितने लोग जानते हैं कॉल गर्ल्स को….. सब कॉन्टेक्ट से होता है| जिनको मालूम ही नही वो तो ऐसे ही मासूम बालकों/बच्चियों, लड़कियों, औरतो को उठा उठा कर उनकी जिंदगी बर्बाद करते हैं और अपने को अपराधी बना लेते हैं| अगर शराब के ठेकों की भाँति हर शहर में वेश्याल्य को भी सरकरी मंज़ूरी मिल जाए तो सरकार की आमदनी भी बढ़ेगी और अपराध भी कम होंगे|”

विजय – “कैसे होंगे अपराध कम… कैसे बढ़ेगी सरकार की आमदनी?”

प्रदीप – “जैसे किसी का शराब पीने का दिल होता तो वो ठेके पर जाकर शराब खरीद कर पी लेते है उसी प्रकार से किसी को जिस्मानी भूख लगेगी तो वेश्याल्य पर जाकर पैसा दे अपनी भूख शांत कर लेगा| जब वेश्याल्य में आसानी से उसकी भूख शांत होगी तो वो क्यू अपने को बलात्कार जैसे अपराध की और धकेलेगा?… जैसे शराब पर टेक्स है उसी प्रकार से वेश्याल्य पर भी टेक्स लगेगा तो आमदनी बढ़ेगी ….”

विजय – “वेश्याल्य खुलने से समाज में गंदगी फैलेगी|”

प्रदीप – “सम्लेंगिकता….. और स्लॅटवाक से गंदगी नही फैलेगी?…….

विजय – “छोड़ो भी अब …. हर शहर में लाइसेंस शुदा वेश्याल्य खुल जाए तो क्या होगा? इस पर पाठको के विचार आने दो ….”

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply