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संयम जीजा जी तो मेरा घर बर्बाद करना चाहते हैं

दिल की बात
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इंदर बहुत ही मेहनती और अपने काम में मास्टर था, उसके जैसा मिस्त्री आस पास तो क्या दूर दूर तक कोई नही था…. किंतु जैसे हर अच्छाई के साथ बुराई भी ज़रूर होती है तो उसके साथ भी ऐसे ही कुछ था वो नशा (शराब का) भी करता था|….. शराब के कारण कोई ही दिन ऐसे हो जब उसके घर में कल्ह ना होती हो…. जब भी वो पी कर आता माँ अलग से उसको समझती अब तो पीना छोड़ दे बेटे तेरे बच्चे बड़े हो रहे हैं …. उन पर क्या असर होगा …. तुझे देख देख कर वो भी बिगड़ जायगें … क्या रिश्तेदार, क्या पड़ौसी सब उसको समझा समझा कर थक गये थे, किंतु उस पर कोई असर ही नही था बल्कि वो ज़्यादा और ज़्यादा पीने लगा था|

पत्नी पूनम अलग से नाराज़ रहती, रहे भी क्यू ना घर में तो सारा दिन उसको ही रहना होता था …. ग़लती इंदर करता (शराब पीता, घर में हंगामा करता) और पीछे से सास के ताने पूनम को सहने पड़ते थी….. तेरा मर्द है तू उसको काबू में नही कर सकती …. औरत चाहे तो क्या नही कर सकती …. आदि आदि…| इंदर घर में बाद में घुसता था पहले शराब इंदर के अंदर घुस चुकी होती थी| पूनम ने कई बार इंदर के जीजा जी (संयम) को भी कहा कि वो इंदर को समझाए किंतु संयम उसको उनके बीच का मामला कह कर टाल देता था| बिचारी पूनम घुट घुट कर इंदर के साथ जीने को मजबूर थी …..

एक बार तो हद ही हो गयी….. पिता ने नाराज़ होकर उसकी पिटाई तक कर डाली …. उसने भी अपने बाप पर हाथ छोड़ दिया| पास पड़ोस सब इकट्ठा हो गया और खूब बुरा भला कहा इंदर को| माँ ने फ़ोन कर अपनी बेटी (प्रिय) और जमाई (संयम) को बुला लिया| संयम को जब कहा गया की वो इंदर को समझाए तो संयम ने उनके घर का मामला कह कर अपने को अलग कर लिया, उसका तर्क था आप तो घर के ही हो, आज लड़ रहे हो कल को एक भी हो जाओगे, किंतु मेरा नाता आपकी बेटी के कारण जुड़ा है, अगर मेरे साथ इंदर ने कुछ ग़लत बर्ताव कर दिया तो में सहन नही कर सकूँगा| प्रिय को संयम के इस रूखे बर्ताव से गुस्सा तो आया किंतु वो संयम की स्तिथि को समझ कर चुप रही, और खुद ही उसने इंदर को समझाया ….. उसके समझने पर इंदर ने अपनी ग़लती मान ली और सबसे माफी माँग कर शराब को हाथ ना लगाने की कसम खाई| किंतु कुछ समय बाद फिर से शराब ने उसका साथ पकड़ लिया|

सहने की भी एक हद होती है ……. और जब ये हद पर हो जे तो आदमी कुछ भी ग़लत कदम उठा सकता है ……. इंदर के शराब पीने की आदत से मजबूर हो कर पूनम ने एक बार आत्म हत्या का प्रयास भी किया किंतु सफल नही हो पाई, इस बात की खबर लगते ही पूनम के घर वाले इंदर को बहुत बुरा भला कह कर अपनी बेटी को ले गये और आगाह कर गये कि शराब पीना छोड़ दोगे तो हमारे घर आ जाना नही तो उस और झाँकना मत| बहुत समय नही बिता इंदर को बच्चो की याद सताने लगी, ससुराल जाने में उसको डर लगता था फ़ोन पर पूनम से बात की और उसको विश्वास दिलाया की उसने शराब छोड़ दी है, यकीन दिलाने को दुनियाँ जहाँ की कसमे खाई …| पूनम आख़िर औरत ही तो थी और मयके में वो कितने दिन बैठ सकती थी ….. उसने इंदर की बातों पर विश्वास कर लिया और इंदर को कहा दिया की उसको अपने घर ले जाए| पूनम रूपी ढाल का सहारा पा कर इंदर ससुराल चला गया| ससुराल वालों ने शराब ना पीने की शर्त के साथ नाक रगड़वा कर पूनम को उसके साथ भेज दिया| कुछ दिन स्वर्ग से चले पूनम को भी यकीन हो चला की इंदर में अब सुधार हो गया है …. किंतु ������� श��������बी ही क्या जो अपने वादों पर खरा उतरे …. इंदर ने अपना पुराना रवईया फिर से शुरू कर दिया …. वही रोज शराब पी कर आना और कल्ह का माहौल बना देना|

एक बार संयम अकेले ही अपनी ससुराल आ गया जब इंदर को पता लगा तो वो भी जल्दी घर आ गया उस दिन ना जाने सूरज किस और से निकला था इंदर ने शराब नही पी थी वो बिल्कुल सही रूप से घर आया था शायद इसलिए कि जीजा जी घर आए हुए थे| संयम ने इंदर को कहा कि आज तो मेरा भी मूढ़ है कुछ खातिरदारी नही करोगे| इंदर हैरान था जो आदमी बीड़ी को भी हाथ नही लगता था वो आज शराब की डिमांड कर रहा है, खैर जीजा जी की डिमांड थी और वो खुद पीने को लालायित था तो तुरंत गया और अपना ब्रांड ले आया साथ में खाने को नमकीन और सलाद भी उठा लाया| बोतल को देख कर संयम ने कहा क्या घटिया बोतल लाए हो इंदर क्या तुम ये ही पीते हो…. मुस्किल से 200-250 रुपए की होगी ….. इतने में तो घटिया ही मिलेगे कम से कम 1000-1500 की जो आए उसे पिया करो, और ये क्या है साथ में खाने को कुछ मुर्गा-शुरगा, काजू-वाजू नही लाए| उठा लाए घटिया सी नमकीन और घास-फूंस| संयम नाराज़ हो कर वहाँ से चला गया (जाते जाते कहा ……. किसी की फिकर नही करते, अपने बारे में सोच सिर्फ़ अपने बारे में, अच्छी शराब पी, अच्छा खा|) …… किंतु इंदर बैठा हुआ उस बोतल को देखता रहा और सोचता रहा कि 1000-1500 की बोतल और खाने में मुर्गा मतलब एक बारी में 2000 रूपियों की चपत| जीवन में कभी इंदर इतना बेचैन नही हुआ था जितना आज था …. सारी रात उसको नींद नही आई और वो करवटें ही बदलता रहा| कानो में संयम के शब्द गूँज रहे थे महँगी शराब पी खूब मुर्गे-शुरगे, काजू-वाजू खा|

सुबहा होते ही इंदर ने बोतल उठाई और दीवार पर दे मारी…. बोतल टूटने की आवाज़ सुन कर घर वाले दौड़े दौड़े आए …. और पूछा इंदर ये का कर रहा है तो इंदर ने कहा संयम जीजा जी तो मेरा घर बर्बाद करना चाहते हैं| किंतु मैं उनका मंसूबा पूरा नही होने दूँगा ….. मैने आज अपनी बर्बादी के अस्त्र को ही ख़तम कर दिया है ………

आज इंदर को शराब और बीड़ी को हाथ लगाए हुए लगभग 20-22 वर्ष गुजर चुके हैं|

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