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मेरे पैसे दे दो …… नही तो बहुत महँगा पड़ेगा…..

दिल की बात
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रूपेश की नोकरी बड़े शहर में लगी थी ……. 2-3 सालों बाद अपने गाँव आया था| दोस्तो को बड़े शहर के सब्ज़बाग दिखाए शहर में ये मिलता है| ये शराब वो शबाब सब मिलता है, बस पैसे फैंको और तमाशा देखो| सभी दोस्तो पर उसने रूवाब जमाया हुआ था| रूपेश के जाने के बाद दोस्तो के जहाँ में रूपेश के बाते चक्कर काट रही थी| उनका भी मौज मस्ती करने का मन था, शराब और शवाब में वो भी नहाना चाहते थे| सभी बहुत जोश में थे, सभी ने रूपेश के पास जाने की ठानी और 8-10 का ग्रुप जा धमका उसके पास|

खर्चा अपना अपना यारी दोस्ती पक्की वाली तर्ज पर रूपेश ने उनके अरमानो को शराब की धाराओं में पूरी तरह से नहला दिया| एक दो दिन बाद उन्होने रूपेश से शिकायत की शराब में ही टालेगा या शवाब के भी दर्शन कराएगा| रूपेश ने अगले दिन इस बात का भी इंतज़ाम कर दिया वो एक को जनता था जो इस कम का अंजाम देती थी, वो बहुत बार उससे अपना काम निकाल चुका था| रूपेश ने उसको बुला लिया और तय समय पर वो आ गयी उसका काम ही ये था| सौदा तय हुआ सारे के सारे लालायित थे जल्दी जल्दी अपना अपना काम निकाला| आब समय था मेहनताना देने का| काम तो हो ही चुका था तो अब पैसे कैसे, गाँव में तो वो दबंग थे, किसी का ले तो लिए देना आता ही नही था| फिर यहाँ पर उनको जनता ही कौन था जो उनका कुछ बिगड़ जाता| उसने बहुत मिन्न्ते की अपना मेहनताना लेने के लिए किंतु शराब और अपनी दबँगाई के घमंड में वो चूर थे और औरत तो पैर की जूती होती है जब चाहो पहन लो और जब चाहो निकाल फैंको …….. और ये तो धन्दे वाली थी उनके सामने इसका वजूद ही क्या?

उसने अब चेतावनी देते हुए कहा में एक महिला हूँ तुम जानते नही मेरी ताक़त, सही तरीके से मेरा पैसा दे दो नही तो बहुत महँगा पड़ेगा| “विपत्ति काले विपरीत बुद्धि” वाली कहावत चरितार्थ होने को थी अपने घमंड में उन्होने उसको धक्के मार कर निकाल दिया| उसने जाते जाते अपने शब्दों को दोहराया :- “मेरे पैसे दे दो …… नही तो बहुत महँगा पड़ेगा…..”

अभी 2 घंटे ही गुज़रे थे की न्यूज़ चैनलो पर अपहरण और बलात्कार की खबर कानो में गोली की भाँति घुसने लगी …….

आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार है ……

(साभार ……. आधार कुछ समय पहले गुड़गाव की खबर)

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