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इसे तो मैं सबक सीखा कर रहूँगा …….

दिल की बात
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पवन बड़ा ही होनहार बालक ….. क्या खेल क्या पढ़ाई सब में आगे रहता था| जिस स्कूल में वो पढ़ता था वहाँ पर सभी की आँख का तारा था वो|

एक बार स्कूल में बच्चो का झगड़ा हो गया पवन बीच बचाव करवा रहा था, सामने वाली टोली में स्कूल के प्रिन्सिपल का लड़का भी था| प्रिन्सिपल साहब ने ये मंज़र देखा किंतु वो समझ बैठे की उसके लड़के से साथ पवन का झगड़ा हुआ है| वहाँ तो मामला किसी प्रकार से शांत हो गया| एक बार पवन अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेल रहा था, जिस समय बालक क्रिकेट खेल रहे थे उसी समय प्रिन्सिपल साहब भी वहाँ से गुजर रहे थे| बैटिंग करते हुए एक लड़के ने जोरदार शॉट मारा जोकि सीधा जाकर लगा प्रिन्सिपल साहब को ……. अचानक चोट लगने से प्रिन्सिपल साहब धरती पर गिर गये| क्रिकेट खेल रहे सारे बालक सारा तामझाम छोड़ छाड़ कर वहाँ से रफूचक्कर हो गये किंतु पवन दौड़ा और जाकर प्रिन्सिपल साहब को उठाया| प्रिन्सिपल साहब कुछ संभल कर खड़े हुए तो तपाक से पवन के सिर हो गये, और भूल गये कि सामने एक बालक है और वो प्रिन्सिपल के पद को शुशोभित कर रहे हैं| बहुत बुरा भला कहा प्रिन्सिपल ने, पवन चुप हो कर सुनता रहा किंतु हद हो गयी जब प्रिन्सिपल साहब ने उसको माँ की “बीप” दे दी| कब तक बर्दाशत हो सकता है और कितना बर्दाशत किया जा सकता है, जवान और बेखौफ़ खून था सो माँ की ‘बीप’ सुन कर खौल गया| पवन ने आव देखा ना ताव दे मारा क्रिकेट का बैट प्रिन्सिपल की टांग पर और एक वार किया उसकी कमर पर| प्रिन्सिपल ऐसा गिरा धरती पर जैसे कोई पेड़ कि डाली पेड़ से काट कर गिरा दी हो| इतना होने पर हो होना था वो ही हुआ, प्रिन्सिपल साहब अस्पताल में पहुचे और पुलिस पवन को पकड़ कर ले गयी थाने|

थाने में सामने कुर्सी पर जो बैठा था उसकी शकल को देख कर एक बार तो यमराज भी दंग रह जाए, एक बार देख कर तो मौत भी डर जाए| बड़ी बड़ी मूछो के नीचे मोटे मोटे होठ काला स्याह चेहरा उसपर मोटी मोटी अंगारे सी जलती आखे, आवाज़ ऐसी दमदार कि अच्छे अच्छे अपराधियो की भी पेंट गीली हो जाए| वह अपने ही अंदाज में पवन से बोला, क्यू रे पर निकले नही और गुंडा बनने चला है और बैंत उठा कर सर से उपर ले गया पवन को मारने के लिए| पवन डरा नही और बोला अंकल जी अब तक तो गुंडा बनने का इरादा नही है किंतु जो बैंत आप मुझे मारने को उठा रहे हो यदि मुझे एक भी लग गया तो गुंडा बनना तय है| पवन की निर्भिक्ता को देख कर थानेदार के मन में ना जाने क्या हलचल हुई और उसने बैंत एक और फैक दी| बड़े प्यार से उसको कुर्सी पर बिठाया और उसके लिए चाय मंगाई| जो हरकत पवन ने की थी उसके बारे में जानने की कोशिश कि तो पवन ने बिना झिझक के सारी की सारी कथा थानेदार साहब को सुना दी| थानेदार को पवन की बातों सच्चाई, आँखो में इस कर्म के प्रति गिलानी नज़र आई| आगे से ऐसी हरकत ना करने की कसम लेकर पवन को जाने दिया|

इधर प्रिन्सिपल साहब थोड़ा ठीक हुए तो जा पहुचे थाने में पवन कि F.I.R. दर्ज करवाने को| थानेदार साहब ने प्रिन्सिपल साहब को अपने तरीके से बहुत कुछ समझाने की कोशिश, किंतु वो तो ठहरे प्रिन्सिपल बालको को शिक्षित करने वाले| प्रिन्सिपल साहब ने साफ साफ शब्दों में कहा “इसे तो मैं सबक सीखा कर रहूँगा ……..

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