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प्यार की निशानी……..

दिल की बात
दिल की बात
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दोस्तो समाज में कैसी विडंबना है, एक परिवार अपनी बेटी को पाल पोस कर पूरे विश्वास और भोरसे से, समाज के सामने उसका विवाह कर दूसरे परिवार के हवाले कर देता है, और फिर ज़्यादा समय भी नही बीतता कि दोनो परिवारों का आपसी विश्वास ख़त्म हो जाता है| इसी को आधार बना कर प्रस्तुत है एक कहानी, उम्मीद है आपको पसंद आएगी…..

राधिका अपने परिवार में सबसे छोटी थी| सुंदर सुशील होनहार पूरे परिवार की आँखो का तारा| शादी लायक हो गयी तो उसके माता-पिता ने एक योग्य वर की तलाश की तो सुधीर के रूप में उनको राधिका के लायक पाया| सुधीर बिना माता-पिता का एक खाते पीते परिवार से तालुक रखता था, उसके बाद एक छोटी बहन और छोटा भाई| सुधीर को तो माता पिता का कुछ प्यार मिल ही गया था किंतु उन छोटे बच्चो को तो वो भी नसीब नही हुआ था, उनके लिए तो सुधीर ही माँ और सुधीर ही पिता था| सुधीर भी अपना कर्तव्य भली भाँति निभा रहा था| सुधीर में बहुत सी खूबिया थी किंतु राधिका के माता-पिता को उसकी जो खूबी पसंद आई वो थी उसके माता-पिता का ना होना| सास नामक जीव का भय उनके मन पर हावी था, क्यूंकी उन्होने पड़ोस में देखा था कैसे सास और बहू की बातों की तलवारे हर रोज निकलती तो थी किंतु मयान में नही जाती थीं| राधिका की माँ भूल गयी थी कि वो भी एक सास है और वो भी अपनी बहुओं के साथ सास का सा ही बर्ताव करती है| किंतु ग़लत कोई खुद नही होता बल्कि सामने वाला या दूसरा ही ग़लत होता है, ये सभी को लगता है और ये ही ग़लतफहमी राधिका की माँ को भी थी|

आख़िर राधिका के जीवन में भी वो दिन आ ही गया जो हर लड़की या लड़के के जीवन में आता है और उसके सारा जीवन को ही बदल कर रख देता है| सुधीर के घर में पहले भी सुख सुविधाओं की कोई कमी नही थी और अब राधिका ऐसे आई जैसे लक्ष्मी और कुबेर आ बैठे हो| राधिका का घर में राज शुरू दिन ही चल पड़ा क्यूंकी घर में बड़ा कोई नही था, फिर दो छोटे ननद और देवर तो थे| समय का चक्कर निर्बाध रूप से चलता रहा| सुधीर तरक्की पर तरक्की करता रहा, राधिका पर तीनो और से प्यार की बरसात होती| तीनो और से मतलब पति, ननद और देवर सभी और से| रानियों जैसा राजपाट चल रहा था राधिका का, इस बीच सुधीर और राधिका के प्यार का परिणाम भी आ गया मतलब उनके घर में एक नन्हा सा जीता जागता खिलोना आ गया| सब बहुत अच्छा अच्छा चल रहा था| लक्ष्मी तो पहले ही इस परिवार पर बरस रही थी अब तो खुशियों पर बाहर आ गयी थी|

किंतु एक दिन अचानक वो हुआ जिसका किसी को अंदाज भी नही था| सुधीर नाश्ता कर जा चुका था, राधिका की ननद बर्तन धो रही थी, देवर अपने भतीजे के साथ गली में खेल रहा था, राधिका कपड़े धो रही थी, कि अचानक वो अपने कमरे में चली गई| ननद अपना काम ख़त्म कर भाभी की कपड़े धोने में मदद करने गयी| उसको वहाँ ना पाकर कमरे में पहुँची तो दहाड़ मारकर दरवाजे पर ही गिर पड़ी, उसकी चीख सुनकर देवर भी दौड़कर अंदर आया, देख पर हैरान भाभी पंखे से झूल रही थी| गली में मातम छा गया, किसी को यकीन नही हुआ कि इतने खाते-खेलते परिवार में ये भी अनहोनी हो सकती है| किसी ने सुधीर को फ़ोन किया और पुलिस को भी सूचित कर दिया गया| सुधीर ने घर आ कर राधिका के घर वालो को भी सूचना दी, पुलिस आई तो राधिका के घरवालो ने छूटते ही कहा “हमारी बेटी को इन्होने ही फाँसी लगाई है ……. !” उन्होने नही सोचा की इस छोटी ����ी जान का क्या होगा? जबकि राधिका ने कोई सू साइड न��ट नही छोड़ा था| पुलिस घर के दोनो मर्दो को पकड़ कर ले गयी, पीछे रह गये भाभी के लिए रोती बिलखती सुधीर की छोटी बहन …. और राधिका और सुधीर के प्यार की निशानी वो छोटा सा बालक…

आपके सुझावों और प्रतिक्रिया के इंतजार में ……

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