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मूतने का अधिकार है ……..

दिल की बात
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दोस्तो आजकल जितनी भी फ़िल्मे आ रही हैं, किसी ना किसी बहाने से उनमे एक द्रश्य मूतने का तो होता ही है| और वो भी कॉमेडी के बहाने ठूँसा गया या गढ़ा गया| अभी कुछ दिनो पहले की बात है, एक फिल्मकार ने तो हद ही कर दी सार्वजनिक स्थान पर बिना किसी शोचालय के मुतते हुए कुछ लोगो को फिल्म की नायिका आगे से देखती है (द्रश्य आँखो के सामने ज़रूर आया होगा… है ना …. है ना……) और फिल्म सूपर हिट भी होती है| एक अन्य फिल्म में महिला पुरुष शोचालय में हीरो की पीछे पीछे घुस जाती है, जब कुछ बुजुर्ग पुरुषो को आपत्ति होती है तो वह कहती है, “अरे आप अपना काम जारी रखो, मैं इनसे बात कर रही हूँ|” (दोस्तो फोटो पेस्ट नही कर रहा) वैसे दोस्तो इस फिल्म में कही भी कोई नग्नता नही है, इस सीन को छोड़ कर, बिल्कुल परिवार के साथ देखने लायक फिल्म है, किसी भी सीन पर बच्चो / माता पिता के सामने आपको शर्माने की ज़रूरत नही पड़ेगी|

मुतना इतना ज़रूरी है की जिसको लगी हो वो ही जानता है, किंतु क्या ये मूत सिर्फ़ पुरुषो को ही लगता है, महिलाओ को नही? नही जी जो जीव है सभी को लगता है, किसी भी धर्म, किसी भी जाति, किसी भी वर्ग का हो सभी को| बुरी हालत सभी को होती है, घोड़ा घोड़ागाड़ी में, बैल बैलगाड़ी में, भैसा, कुत्ता जो भी जानवर हो जिसको भी लगती है वो वही कर लेता है| एक इंसान ऐसा जानवर है मूतने के लिए उसको स्पेशल स्थान की ज़रूरत होती है| पुरुषो के लिए तो जगह जगह सार्वजनिक शौचालय बने होते हैं, फिर भी आदत से मजबूर ये लोग कहीं भी थोड़ी सी आड़ देख पर शुरू हो जाते हैं, सही स्थान तक जाने की भी जहमत नही उठाते| किंतु महिलाओं के लिए ये सुविधा कहीं पर नही (बहुत कम) उपलब्ध होती| बिचारी बाजार जाए तो घर से करके जाए और घर पर ही आकर करें| पुरुष ने यहाँ पर भी अपना फायदा देखा है लगता है, देखने में आया है महिलाओं की खरीददारी की बहुत आदत होती है, एक बार शुरू हो जाए तो जब तक जेब खाली ना हो घर जाने का नाम ही नही लेती, रिक्शा के किराए के भी पैसे मुश्किल से बचा पाती हैं| अब बाज़ार में यदि उनको ज़ोर की लगती है तो आधी अधूरी खरीददारी छोड़ कर घर भागो, बड़ा ज़ुल्म है बेचारियो के साथ| किंतु पुरुष का कुछ फायदा तो हो जाता है, मतलब उस दिन कुछ पैसे तो बच ही जाते हैं|

आज महिलाओं को हर क्षेत्र में बराबरी का हक है तो फिर सार्वजनिक शौचालय के मामले में इनको पीछे क्यू छोड़ रखा है सरकारों ने……. महिलाओं को चाहिए कि वो आने वाले चुनावों में सब कुछ छोड़ कर उस पार्टी को वोट दे जो इनके लिए सार्वजनिक शोचालय बना कर दे ……. जनता को पूरा यकीन है, इनकी ये माँग पूरी नही हो सकती फिर भी माँगने में कुछ हर्ज नही| आज तक जनता की कौनसी माँग है जो सरकार ने सही समय पर मानी हो …….? वैसे अपने मुतने और हगने के लिए ३२ लाख रूपये हैं, किन्तु जिनकी वोटो से जीत कर ये सरकार बनाते हैं उनके लिए एक १० हजार का महिलाओं के लिए मुतने का स्थान नहीं बनवा सकते

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