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आदमी सड़क का……..

दिल की बात
दिल की बात
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किंतु दोस्तो! आज सड़क के संपन्न आदमी के विषय में लिख रहा हूँ| अब कहेंगे ये बाल्याण तो पागल हो गया है| जो आदमी सड़क का है वो संपन्न कैसे हो सकता है? दोस्तो संपन्न आदमी ही सड़क का प्रयोग करता है| अपनी संपन्नता को दिखाने के लिए दो पहिया से लेकर बड़ी से बड़ी गाड़ी खरीद कर| एक ही मंज़िल पर जाने वाले चार लोग अलग अलग कारें लेकर चलते हैं, संपन्नता का दिखावा नही तो क्या है? सड़क पर फालतू भीड़ बढ़ाना नही है तो क्या है? वो सड़क का संपन्न आदमी नही है तो क्या है?

दोस्तो वाहन आज हमारी ज़रूरत हो गयी है, सरकार ने वैसे तो सार्वजनिक वाहन उपलब्ध करवा रखे हैं, जनता के लिए किंतु आप और हम थोड़े से भी संपन्न हो जाते हैं तो अपना निजी वाहन खरीद लेते हैं| बहुत अच्छी बात है, अपना वाहन तो आधी रात का गहना होता है| असमय परिवार में कुछ अनहोनी हो जाए तो अपने वाहन की सुविधा है, अस्पताल या ज़रूरी स्थान तक पहुचने के लिए| हर रोज हज़ारों की तादाद में दो पहिया या चार पहिया नये वाहन सड़क पर आ रहे हैं| जिस तेज़ी से सड़क पर वाहनो की संख्या बढ़ रही है उसी बलिक उससे कुछ ज़्यादा तेज़ी से सड़क दुर्घटनाओ की संख्या भी बढ़ रही है| क्या कारण है? इसका एक साफ़ कारण है हमारी दिखावे की वृत्ति जैसे पडौस के चार लोगो को ड्यूटी एक ही जगह जाना है तो वो कार को शेयर नहीं करेंगे बल्कि अलग अलग कार लेकर जायेंगे, ताकि उनका स्टेटस निचा न हो, वो दुसरे के मुहताज न दिखे, कोई टोक न दे अरे! तुम्हारे पास अपनी कार है फिर भी दुसरे की कार में बैठ करआते हो| बस ये ही दिखावा सड़कों पर ट्रेफिक बढ़ा रहे हैं| दुर्घटना होने का एक कारण ये भी है किन्तु कुछ और है जो बड़ा कारण है| वाहन को चलाने वाले भी आप और हम ही हैं|

दोस्तो! अपने दिल पर हाथ रख कर एक बार कहे कि मुझे सड़क पर चलने के सारे नियम आते हैं……..| आपके दिल ने क्या कहा…….? यदि आपके दिल ने हाँ कहा तो माफ़ करना दोस्त आपकी आँखों पर काला चस्मा चढ़ा हुआ है| मेरी आँखो पर भी ये चस्मा चढ़ा हुआ था| किंतु आज वो चस्मा उतार गया है| कैसे? बतलता हूँ …….. पिछले हफ्ते मैं अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने गया| सरकारी दफ़्तरों में चक्कर काटने पड़ेंगे तो शॉर्टकट चुना और उसका मेहनताना दे अपनी ज़िम्मेदारी पूरी समझी| किंतु वो थोड़ा सा जानकार था तो मुझे कहा कि आपको 2-3 घंटे का समय निकलना पड़ेगा| मैने कहा मेरे पास समय होता तो (धेले का काम नही और मिनिट की फुर्सत नही, 90% लोगो का ये हाल है, किंतु आदत से मजबूर है तो समय है ही नही) ये काम खुद ही कर लेता, तुम्हारी सहायता नही लेता| किंतु दोस्त कुल मिलकर उसने मुझे वो 2-3 घंटे का समय निकालने को राज़ी कर ही लिया| उसके बतलाए स्थान पर पहुचा तो देखा वो एक ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर था| मन बड़ा ही विचलित हुआ, और उसको मन ही मन गालिया दी, इतने वर्ष हो गये मुझे सड़क पर ड्राइविंग करते हुए, मुझसे अच्छा ड्राइवर मुझसे ज़्यादा सड़क के नियम जानने वाला शायद ही कोई हो?

श्री अनिल बालन ने जो जानकारिया दी….. वो सबकी आँखे खोलने वाली थी| यदि सड़क के सारे नियम, सड़क के सारे संकेत हम जानते हो तो सड़क दुर्घटना की खबरों से जो अख़बार भरे रहते हैं, अख़बारों का वो स्थान खाल�� पड़ा रहे, मतलब दुर्घटना हो ही नही| ज़्यादातर दुर्घटना ड्राइवर की ना समझी, नियमों की अधूरी जान�����ारी के ही कारण से होती हैं| जबकि लोग कहते हैं की दुर्घटना का कारण ओवर स्पीड है, ओवर स्पीड तो सिर्फ़ 10% ही कारण है, बाकी 90% में सड़क के नियमो और संकेतो की अधूरी जा��कारी आती है| यदि सड़क संकेतो और नियमो की सही जानकारी हो तो एक बच्चा भी दुर्घटना नही करेगा, और जानकारी के अभाव में एक लाइसेंस धारी वाहन चालक भी बड़ी दुर्घटना का भागीदार होगा|

आज वाहन कंपनिया विभिन्न विभिन्न प्रकार से प्रलोभन देकर, बड़े बड़े खवाब दिखाकर अपने वाहनो की बिक्री बढ़ा रही हैं| मुनाफ़ा कमाना बुरी बात नही है, किंतु इसे साथ साथ उनकी कुछ नैतिक जिम्मदारी भी बनती है :-

1. वाहन उसी को बेचे जिसके पास ड्राइविंग लाइसेंस हो, यदि नही हो तो ऐसी व्यस्था करे कि वाहन खरीदने वाले को सड़क नियमो की जानकारी दे|

2. जिस प्रकार से वाहन की बुकलेट देते हैं उसी प्रकार से सड़क के नियमो की भी एक बुकलेट दे| जो क्षेत्रीय भाषा में हो|

3. अपने शो रूम में सड़क पर चलने के सभी नियम और संकेत स्पष्ट रूप से अंकित हो ताकि वाहन खिरादने से पहले खिरदार उनसे परिचित हो|

4. सेल्स मेन को भी इन नियमो और संकेतो की पूरी जानकारी हो, ताकि वो वाहन की खूबी के साथ साथ इस जानकारी को भी बाँट सके|

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