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मिडिया की सामाजिक जिम्मेदारी क्या है ?

दिल की बात
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Breaking News (तोड़ वृतान्त) …….. ये शब्द बहुत पुराने नही हैं, किन्तु इन वाक्यों ने पिछले कुछ समय से सारे के सारे समाज को हिला कर रख दिया है| शायद ये तभी से प्रचलन् में आये हैं जब से इलेक्ट्रोनिक मीडिया जगत में नये नये खबरिया चॅनेल छा रहे हैं| जिस समय भारत में सिर्फ और सिर्फ नैशनल चैनल के रूप में दूरदर्शन होता था, उस समय ये शब्द नही सुनाई पड़ते थे, किन्तु अब तो युवराज राहुल (चाटुकारों द्वारा घोषित) जुखाम हो जाये, युवराज राहुल ने दलित के घर भोजन किया तो ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाती है, लेकिन ये चैन्नेल वाले नही दिखाते कि उस गरीब दलित ने इस भोजन का इंतजाम कैसे किया या राहुल द्वारा उसके घर खाना खाने के बाद उस दलित का क्या हाल है| सचिन तेंदुलकर ने 50 रन बनाये तो भी ब्रेकिंग न्यूज़ हो जाती है चाहे उसके सामने द्रविड़ ने शतक लगा रखा हो| कहने का अर्थ है ये खबरिया चैनेल जिसे चाहे हीरो बना सकते हैं।

ज्यादा समय नहीं हुआ है ये ही कोई 4-5 साल हुए होंगे, एक छोटा सा बालक था “प्रिंस”। याद आया! नहीं आया अरे वो ही जो एक बोरवेल में गिरा था। अब तो याद आया होगा, हाँ ठीक पहचाना वो ही जिसने समस्त समाज की गति को रोक सा दिया था। कितने समय तक वो उस बोरवेल में रहा ये तो आप लोग भी जानते हैं। मैं तो इतना जानते हूँ जबतक वो उस बोरवेल में रहा तब तक शायद ही कोई अन्य घटना इस देश में घटित हुई हो। मतलब इन चैनलों को दिखाने के लिए कोई अन्य खबर नहीं मिली। इसका असर ये हुआ की उस प्रिंस को रातो रात हीरो बना दिया गया, कोई उसकी शिक्षा मुफ्त करवाने की घोषणा है तो कोई लाखो रूपये उसके माता-पिता को देने की। अब वो रूपये और शिक्षा “प्रिंस” को मिली या नहीं ये तो प्रिंस के माता-पिता जाने या घोषणा करने वाले। क्या आप जानते हैं उन 4-5 दोनों बाद या उसके 5-6 महीने बाद “प्रिंस” कहाँ और किस हालत में होगा या आज किस हालत में है कहाँ पर है प्रिंस। किन्तु उस खबर के बाद एक महत्वपूर्ण घटना जरुर हुई और वो थी “बोरवेल” में बच्चों के गिरने का सिलसला शुरू हो गया। किन्तु बाद में गिरे हुए बच्चों में वो बात नहीं थी जो “प्रिंस” में थी, एक तो वो बच्चे शायद ही जिन्दा निकले हों और दूसरी उनके लिए वो घोषणा (शिक्षा और पैसे देने की) नहीं हुई जो प्रिंस के लिए हुई थी। इस घटना में एक गंभीर बात थी की जितने भी बच्चे बोरवेल में गिरे सारे के सारे गरीब थे। अब ये तो परमात्मा ही जाने की वो बच्चे खेलते-खेलते गिरे थे या……. ? क्यूंकि इस शैतानी दिमाग वाले इन्सान(?) के लिए कुछ भी असंभव नहीं है, विशेषकर उस स्थिति में जब गरीबी और भुखमरी में जीवन यापन हो रहा हो और अचानक एक तोड़ वृतान्त (Breaking News) सुनाई पड़ जाये कि “एक छोटा सा बालक एक गहरे बोरवेल में गिर गया, फलां ने इतने लाख रूपये देने की घोषणा की, फलां ने उसकी पढाई का खर्च उठाने का जिम्मा लिया, फलां लोग उसकी सलामती के लिए हवन कर रहे हैं।” कहाँ तो गरीबी और गुमनामी में जीने वाला और कहाँ एक छोटी सी घटना के बाद वर्ल्ड फैमस हो जाने का मौका, तो क्या बुरे है एक छोटे से बालक को खुद ही परिवार वालों द्वारा ही गहरे खड्डे में गिरा दिया जाए।  हाँ उस समय ये तोड़ वृतान्त (Breaking News) बच्चों पर एक कहर बन कर टूटी थी।

अभी ताजा घटना है अरे ये ही दिल्ली रेप केस वाली। पुरे सप्ताह भर हंगामा हुआ, जिस चैन्नेल को देखो वो ही इस खबर से चिपका हुआ था, जिस मुख्य मंत्री को देखो वो उस लड़की के लिए लाखो रूपये देने की घोषणा �������रता है। कोई तो उसके नाम से कानून बनाने की भी वकालत करता है। जिस खबरिया चेंनेल को देखो वो ही अलग अलग नाम से उस लड़की को कैश कर रहा था। जिस नेता को ���ेखो वो ही सहानुभूति दिखला रहा था। किसी ने गौर किया की दिल्ली वाली ���टना से पहले कितनी रेप की घटना ब्रेकिंग न्यूज़ बनती थी और इस घटना के बाद से अचानक इन घटनाओ में कितना इजाफा हो गया। जिस दिन दिल्ली वाली घटना हुई लगभग उसी दिन गोहाटी में भी एक रेप कांड हुआ। उससे अगले ही दिन राजधानी में ही एक विदेशी महिला के साथ भी रेप हुआ। अब तो लगभग हर रोज 2-3 खबर रेप की हो ही जाती हैं। किन्तु सरकार की सबसे ज्यादा किरकरी हुई इसी दिल्ली वाले रेप कांड से। ऐसा क्या खास था उस लड़की में जो उसके लिए इतना हंगामा हुआ। क्या को किसी ख़ास व्यक्ति की लड़की थी, नहीं वो भी एक आम लड़की थी जो पारामेडिकल की पढाई करने दिल्ली आई थी। हाँ वो दिन उसके लिए जीवन का सबसे गलत दिन था जो वो इतनी शाम उस लड़के के साथ उस बस में बैठी। इस दिन वो लड़का उसके साथ नहीं होता तो शायद ही ये घटना होती। खैर ये गलत घटना हुई और Breaking News मिडिया को मिल गयी। इस घटना को इतना ज्यादा कैश किया सभी चैनलो ने कि “प्रिंस के बोरवेल” गिरने की घटना सी भांति ही इस खबर के आगे सारी खबरे छोटी नजर आने लगी। सरकार भी चारो खाने चित नजर आ रही थी जैसे अन्ना के पहले आन्दोलन के समय नजर आई थी। किन्तु अब जैसे अन्ना के आन्दोलन की हवा निकली उसी भांति इस दिल्ली वाली ब्रेकिंग न्यूज़ की भी हवा सरकार को निकालनी पड़ी। हाँ इसके लिए हमारे दो फौजी भाईयों को अमानवीय रूप से जान जरुर गवानी पड़ी। मेरी शंका इसलिए है की एक तो सरहद के इस पार दिल्ली रेप कांड में सरकारी की किरकरी हो रही थी तो इसी समय सरहद पार की सियासत के हालत भी बहुत अच्छे नहीं थे और ये सियासी लोग अपनी अपनी जनता को बरगलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसी घटना से मिडिया को फिर से मिल जाती है एक और ब्रेकिंग न्यूज़…….

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